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Jidhar jaate hai sab jaana achcha nahin lagta  - Javed Akhtar
Jidhar jaate hai sab jaana achcha nahin lagta - Javed Akhtar

Javed Akhtar जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल* रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना बहुत हैं फ़ायदे इसमें मगर अच्छा नहीं लगता मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है किसी का भी...

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01Jun2015

तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता।
तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता।

ना मस्जिद आजान देती, ना मंदिर के घंटे बजते ना अल्लाह का शोर होता, ना राम नाम भजते ना रातों की नींद अपनी होती ना मुर्गा हमें जगाता, सुबह के पांच बजते ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते तू भी इन्सान होता, मैं भी इन्सान होता, …….काश कोई धर्म ना होता.... …….क...

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16Feb2015

Kisi Bhi Mod Par Tumse Wafadari Nahi Hogi - Munawwar Rana
Kisi Bhi Mod Par Tumse Wafadari Nahi Hogi - Munawwar Rana

मुनव्वर राना किसी भी मोड़ पर तुमसे वफ़ादारी नहीं होगी किसी भी मोड़ पर तुमसे वफ़ादारी नहीं होगी हमें मालूम है तुमको ये बीमारी नहीं होगी तआल्लुक़ की सभी शमाएँ बुझा दीं इसलिए मैंने तुम्हें मुझसे बिछड़ जाने में दुश्वारी नहीं होगी मेरे भाई वहाँ पानी से रोज़ा खोलते होंगे हटा लो साम...

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15Feb2015

Tumko Hi Yaad Kiya Tumko Bhulane Ke Liye - Nida Fazli
Tumko Hi Yaad Kiya Tumko Bhulane Ke Liye - Nida Fazli

तुमको ही याद किया तुमको भुलाने के लिए हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए घर से बाहर की फ़ज़ा हँसने-हँसाने के लिए यूँ लुटाते न फिरो मोतियों वाले मौसम ये नगीने तो हैं रातों को सजाने के लिए अब जहाँ भी हैं वहीं तक लिखो रूदाद-ए-सफ़र हम तो निकले थे कहीं और ही जाने के लिए मेज़ पर ताश के...

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14Feb2015

Jo De Rahe Hain Phal Tumhe Pake Pakaaye Hue - Rahat Indori
Jo De Rahe Hain Phal Tumhe Pake Pakaaye Hue - Rahat Indori

Rahat Indori जो दे रहे हैं फल तुम्हे पके पकाए हुए जो दे रहे हैं फल तुम्हे पके पकाए हुए वोह पेड़ मिले हैं तुम्हे लगे लगाये हुए ज़मीर इनके बड़े दागदार है  ये फिर रहे है जो चेहरे धुले धुलाए हुए जमीन ओढ़ के सोये हैं दुनिया में न जाने कितने सिकंदर थके थकाए हुए यह क्या जरूरी है क...

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10Sep2014

'Maa' Shayari By Munawwar Rana
'Maa' Shayari By Munawwar Rana

Munawwar Rana Maa Shayari ("माँ" शायरी)  लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती Labon pe uske kabhi baddua nahi hoti Bas ek Maa hai jo kabhi khafa nahi hoti ***** अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’ माँ की ममता मुझे बाहों म...

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28Jun2014

Main Logon Se Mulaqaton Ke Lamhe Yaad Rakhta Hoon
Main Logon Se Mulaqaton Ke Lamhe Yaad Rakhta Hoon

Munawwar Rana मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ  मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हे याद रखता हूँ  मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ  सर-ए-महफ़िल निगाहें मुझ पे जिन लोगों की पड़ती हैं  निगाहों के हवाले से वो चेहरे याद रखता हूँ  ज़रा सा हट ...

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29Dec2013
 
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