लुटता हुआ वतन देख कर जो खौला नहीं,
सोचो ऐसे खून की रवानी किस काम की,
क़र्ज़ इस माटी का चुकाए बिना ढल जाए जो,
बताओ दोस्तों वो जवानी किस काम की...

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