जब न हो धन और शौहरत आदमी इन्सान है
छल कपट और झूठ की बीमारी से अंजान है
पाके शौहरत और दौलत रंग बदला खून का
अब कहाँ इंसानियत बस अब तो वो शैतान है
किस कदर नफरत भरी है आज इन्सां के लिए,
खून पी कर तू गरीबो का बना हैवान है
वहशी बनकर घूमने वालो जरा मेरी सुनो
याद क्यों आता खुदा जब दीखता श्मशान है
लाल बत्ती के लुटेरो शर्म से डूबो मरो ,
जुल्म करते हो उसी जनता पे जो नादान है
लूटते नारी की अस्मत बन के इज्जतदार जो
राक्षसो की और दरिंदो की ही वो संतान है
भूख से जलता है बचपन और जवानी दफन है
बस यही कारण है जिससे मुल्क ये बदनाम है
या खुदा अब तो जहन्नुम ही अता करदे मुझे,
मुझसे अब देखा नहीं जाता ये हिंदुस्तान है
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